अपने सपनो की कूंची से
मैं इस जीवन को रंग लूंगी
इच्छा शक्ति की तुलिका से
सपने यथार्थ में बदलूंगी
मैं आत्मबल के पंख लगा
ऊंची उड़ान भी भर लूंगी
आत्मशक्ति के आलंबन पर
मैं हर ऊँचाई छू लूंगी।
व्याख्या:- उक्त कविता के माध्यम से मैंने जीवन जीने की कला को पंक्तिबद्ध करने का प्रयास किया है । आत्मविश्वास व सकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा मानव कठिन से कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है।
Showing posts with label सकारात्मकता. Show all posts
Showing posts with label सकारात्मकता. Show all posts
Tuesday, March 23, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)