Tuesday, March 23, 2010

जीजिविषा

अपने सपनो की कूंची से
मैं इस जीवन को रंग लूंगी
इच्छा शक्ति की तुलिका से
सपने यथार्थ में बदलूंगी
मैं आत्मबल के पंख लगा
ऊंची उड़ान भी भर लूंगी
आत्मशक्ति के आलंबन पर
मैं हर ऊँचाई छू लूंगी।

व्याख्या:- उक्त कविता के माध्यम से मैंने जीवन जीने की कला को पंक्तिबद्ध करने का प्रयास किया है । आत्मविश्वास व सकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा मानव कठिन से कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है।

4 comments:

  1. Nice one. So inspiring

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  2. अति उत्तम, क्या भाषा प्रयोग की है! बहुत ही किलिष्ट हिंदी है.

    I'm really impressed!

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    Any ye photo kiska hai :-)

    --
    Mukesh

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  3. Thanx Mukesh for your encouragement.
    प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद !

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  4. आपकी ये रचना जीजिविषा सही में बहुत अच्छी है और सही में अभिव्यक्ति को प्रकट करती है

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